हम जानते हैं कि 16 और 17वीं शताब्दी में विभिन्न यूरोपीय कंपनियां व्यापार के लिए भारत आए। इन सभी कंपनियों में ब्रिटिश सर्वाधिक शक्तिशाली सिद्ध हुए भारत में ब्रिटिशों की सफलता का कारण दक्षिण -पूर्वी एशिया के व्यापार का समझना एवं प्रतिद्वंदियों के साथ संघर्ष का सफलतापूर्वक निदान करना था । भारत आने वाला प्रथम ब्रिटिश नागरिक जॉन मिल्टन हाल था। जो 1599 में स्थल मार्ग से भारत पहुंचा था ।इस समय ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ प्रथम थी ।महारानी एलिजाबेथ के एक चार्टर अधिनियम के द्वारा 31 दिसंबर (1600 AD) इंग्लैंड ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई । प्रारंभ में महारानी ने इस कंपनी को पूर्व में व्यापार करने हेतु 15 वर्षों का परमिट दिया था। हालांकि बाद में इसे परमिट को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया गया कंपनी की स्थापना के समय 26 सदस्य निदेशक मंडल की स्थापना की गई। जिसमें एक निदेशक एक उपनिदेशक एवं 24 अन्य सदस्य थे 1608 में ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम ने एक राजदूत विलियम हॉकिंग्स को भारत में ब्रिटिश व्यापार की अनुमति हेतु भेजा था। विलियम हॉकिंग्स फारसी और तुर्की भाषा का ज्ञान रखता था। जहांगीर ने हॉकिंग्स का स्वागत किया एवं उसे खान की उपाधि से नवाजा साथ ही । जहांगीर नेहॉकिंग्स को 400 का मनसब भी प्रदान किया। अनुमति मिलने के पश्चात ब्रिटिशों ने अपना पहला व्यापारिक कारखाना 1611 में मसूलिपटनम में स्थापित किया था। हालांकि यह कारखाना नॉन परमिट था। भारत में जेम्स प्रथम के द्वारा 1611 में कैप्टन बेस्ट नमक दूसरा राजदूत भेजा गया। व्यापार की अनुमति हेतु इसी क्रम में 1612 से 1613 में भारत में ब्रिटिश का पहला अस्थाई कारखाना सूरत में स्थापित किया गया।
भारत में ब्रिटिशों के अन्य प्रमुख कारखाने थे :
- मसूलीपट्टनम (1611) अस्थाई कारखाना
- सूरत (1612 – 1613 ) पहला स्थाई कारखाना
- मद्रास (1639)
- कोलकाता (1658)
- मुंबई (1686)
1616 से 1618 में सर थॉमस रो जहांगीर के दरबार में व्यापार के लिए आया था। कहा जाता है कि उनके साथ एक अन्य लेखक रॉल्फ फिच भी आया था। रौलट खींचना ने जहांगीर और अनारकली की प्रेम कहानी लिखी थी। भारत में ब्रिटिश गवर्नर के रूप में विलियम हैजेज पहली बार बंगाल भारत आए थे।
ब्रिटिश सरकार द्वारा बसाए गए तीन नगर :
- मद्रास ( फ्रांसिस डे)
- मुंबई ( गोराल्ड अंगियार)
- कोलकाता (जॉब चोरनॉक)
भारत के प्रथम मान्यता प्राप्त बंगाल के ब्रिटिश गवर्नर रॉबर्ट क्लाइव थे। बंगाल के गवर्नर का यह पद आधिकारिक रूप से 1757 से 1772 तक रहा 1772 के पश्चात बंगाल प्रेसिडेंट के अंतर्गत दो अन्य प्रेसीडेंशिय मुंबई और मद्रास भी सम्मिलित कर दिए गए ।इसके पश्चात गवर्नर के पद का नाम परिवर्तित करके गवर्नर जनरल कर दिया गया। 1833 तक आते-आते लगभग पूरा भारत ब्रिटिशों के अधीन आ गया था। और अब बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल कहां जाने लगा। 1857 की क्रांति के पश्चात महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणा से भारत से कंपनी का शासन समाप्त कर दिया गया, और महारानी का शासन स्थापित हुआ।1857 से पहले जहां ब्रिटिश गवर्नर गवर्नर जनरल को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी चुनती थे। वही क्रांति के पश्चात महारानी के द्वारा किया जाने लगा, और अब गवर्नर जनरल को वायसराय कहा गया। स्वतंत्रता के पश्चात भारत के प्रथम ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन कुछ समय के लिए बने, प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी थे।
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