चौसा का मैदान कहां है।
चौसा का मैदान भारत के पवित्र नदी गंगा के किनारे स्थित है। यह स्थान बिहार के बक्सर जिले में स्थित एक गांव है जहां 26 जून 1539 को मुगल सम्राट हुमायूं और शेरशाह के बीच चौसा का युद्ध लड़ा गया था।
चौसा का युद्ध कब और किसके बीच हुआ
चौसा का युद्ध(Chausa Ka Yuddh) मुगल सम्राट हुमायूं और शेरशाह के बीच 26 जून 1539 ई को लड़ा गया था। इस युद्ध में शेरशाह सूरी की विजय हुई और हुमायूं को जान बचाकर भागना पड़ा।
चौसा के युद्ध(Chausa Ka Yuddh) का कारण
प्रिय दोस्तों इस लेख में चौसा का युद्ध(Chausa Ka Yuddh) के क्या कारण है। बताने वाले हैं भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण युद्ध चौसा के युद्ध के सभी कारण नीचे दर्शाया गया है ।
- हुमायूं मुगल सम्राट हुमायूं ने यह युद्ध 26 जून 1539 यानी चौसा का युद्ध शुरू किया था। मुगल सम्राट हुमायूं का मुख्य उद्देश्य था दिल्ली को फिर से विजई बनाना यानी कह सकते हैं। दिल्ली को पुन अपने अधिकार में कर लेना।
- शेरशाह सूरी शेरशाह सूरी फरीद खान अपने शासनकाल के दौरान भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण सेनापति और सम्राट था। शेरशाह सूरी का मुख्य उद्देश्य था। दिल्ली पर अधिकार करना और अपने साम्राज्य को विस्तार करना।
चौसा के युद्ध(Chausa Ka Yuddh) के परिणाम
प्रिय दोस्तों अब इस लेख में चौसा के युद्ध(Chausa Ka Yuddh) के परिणाम के बारे में पढ़ेंगे।
- 26 जून 1539 के चौसा के युद्ध के बादशेरशाह सूरी ने मुगल सम्राट हुमायूं को बहुत बुरी तरह से हराया। इस युद्ध के पश्चात शेरशाह ने दिल्ली को अपने अधिकार में ले लिया। और उनका सम्राट बनने का मार्ग खुल गया।
- हुमायूं की हार के बाद मुगल साम्राज्य में कमजोरी आ गई और मुगल साम्राज्य की स्थापना में कई वर्ष लग गए थे। हुमायूं की हार के बाद उसके पुत्र अकबर ने मुगल साम्राज्य का पुनः निर्माण किया।
शेरशाह ने चौसा के युद्ध में किसे पराजित किया
शेरशाह ने चौसा के युद्ध में हुमायूं को पराजित किया था । (Chausa Ka Yuddh) में मुगल सैनिक भयभीत होकर इधर-उधर हो गए और इनमें से कई सारे सैनिक तो गंगा में डूब गए और हुमायूं भी अपनी स्थिति कमजोर देखते हुए गंगा नदी में चलांग लगा दी। उस समय एकभिश्ती ने मुगल सम्राट हुमायूं की जान बचाई इसी से खुश होकर मुगल सम्राट हुमायूं ने भिश्ती को एक दिन के लिए बादशाह की गदी पर बैठाया। इस तरह शेरशाह को विजय श्री प्राप्त हुआ।
चौसा के युद्ध के बाद हुमायूं का क्या हुआ
Chausa Ka Yuddh के बाद हुमायूं को मुगल साम्राज्य के पतन का सामना करना पड़ा। यह युद्ध हुमायूं के जीवन काल में बहुत कष्टदायक रहा इस युद्ध के पश्चात हुमायूं को अपना साम्राज्य को जाने की चिंता सताने लगी। पिता के मृत्यु के बाद हुमायूं पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में अपना जीवन मिटाने लगा कुछ सालों बाद हुमायूं को भारत आने का मौका प्राप्त हुआ। हुमायूं का आखिरी विजय 1556 में हुई इस विजय के पश्चात वह दिल्ली में मुगल साम्राज्य का पूर्ण स्थापित करने में सफल रहा। उसके बाद उसके पुत्र अकबर ने मुगल साम्राज्य कीनिव रखी और भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया।
FAQ
प्रिय दोस्तों अब इस लेख में चौसा के युद्ध(Chausa Ka Yuddh) के सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को देखने वाले हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट के माध्यम से भी पूछ सकते हैं। यह सभी प्रश्न आपके आने वाले सभी परीक्षाओं के लिए अति महत्वपूर्ण है।
चौसा का युद्ध क्यों हुआ था
26 जून 1539 ई को अफगान शासक शेरशाह और मुगल सम्राट हुमायूं के बीच लड़ा गया था इसके पीछे कई कारण थे।
चौसा का युद्ध कौन जीता था
चौसा का युद्ध(Chausa Ka Yuddh) शेरशाह सूरी ने जीता था चौसा का युद्ध कहां हुआ था। चौसा का युद्ध बिहार के बक्सर जिले में स्थित चौसा नामक स्थान में हुआ था।
1540 में कौन सा युद्ध लड़ा गया था
सन 1540 ईस्वी में चौसा का युद्ध (Chausa Ka Yuddh)लड़ा गया था। जिसमें शेरशाह सूरी ने विजय प्राप्त किया था।
शेरशाह ने हुमायूं को कितनी बार पराजित किया
शेरशाह सूरी ने हुमायूं को दो बार हराया था।
पहली बार चौसा का युद्ध 1539 दूसरी बार बिलग्राम का युद्ध 1540 में ।
प्रिय मित्रों इस लेख में चौसा के युद्ध के बारे में सारी जानकारी एक-एक कर पढ़ चुके हैं।
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