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हमारे शरीर को निश्चित आकार एवं आकृति प्रदान करने के लिए एक ढांचे (structure) की आवश्यकता होती है। बिना ढांचे के शरीर न तो चल-फिर सकेगा और न ही कार्य कर सकेगा। यह ढांचा कंकाल तंत्र कहलाता है। कंकाल तन्त्र बाह्य व अन्तः सजीव या मृत कठोर संरचनाओं का एक तन्त्र है, जो शरीर को सहारा, आकार, सुरक्षा, सन्धि और गति प्रदान करता है।
कंकाल तंत्र का निर्माण अस्थियाँ, उपास्थियाँ, संधियाँ आदि मिलकर करते हैं। इस तरह अस्थियों, उपास्थियों से मिलकर बने शरीर के ढाँचे को ही कंकाल तंत्र कहते हैं।
मनुष्य का कंकाल तन्त्र (Human Skeletal System)
मानव कंकाल तन्त्र छोटी-बड़ी कुल 206 अस्थियों से मिलकर बना हुआ है। मनुष्य की शिशु अवस्था में 300 अस्थियाँ पाई जाती है। अस्थियाँ आपस में सन्धियों द्वारा जुड़ी होती हैं, जिसके ऊपर मांसपेशियाँ पाई जाती है। अस्थि में 50% जल एवं 50% ठोस, अकार्बनिक एवं कार्बनिक पदार्थ पाए जाते हैं।
मानव अन्तःकंकाल की उत्पत्ति मीसोडर्म से होती है। संरचनात्मक दृष्टि से अंतःकंकाल दो भागों अस्थि एवं उपास्थि से मिलकर बना होता है।
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कंकाल तंत्र के प्रकार (Type of Skeletal System)
शरीर में उपस्थिति के आधार पर कंकाल तंत्र के दो प्रकार के होते हैं:
1. बाहय कंकाल (Exo-skeleton)
2. अंतः कंकाल (Endo-skeleton)
बाहय कंकाल (Exo-skeleton)
शरीर की बाहरी सतह पर पाये जाने वाले कंकाल को बाह्य कंकाल (Exo-skeleton) कहा जाता है। बाह्य कंकाल की उत्पत्ति भ्रूणीय एक्टोडर्म या मीसोडर्म से होती है । त्वचा की उपचर्म या चर्म ही बाह्य ककाल के रूप में रूपान्तरित हो जाती है।
बाह्य कंकाल शरीर के आंतरिक अंगों की रक्षा करता है तथा यह मृत होता है। मछलियों में शल्क, कछुओं में ऊपरी कवच, पक्षियों में पिच्छ, तथा स्तनधारियों में बाल, बाह्य कंकाल के उदाहरण हैं जो इन प्राणियों को अत्यधिक सर्दी एवं गर्मी से सुरक्षित रखने के साथ ही शरीर को सुरक्षा प्रदान करते है |
अंतः कंकाल (Endo-skeleton)
शरीर के अंदर पाये जाने वाले कंकाल को अन्तः कंकाल (Endo-skeleton) कहते हैं। इसकी उत्पत्ति भ्रूणीय मीसोडर्म से होती है। अन्तःकंकाल सभी कशेरुकियों में पाया जाता है।कशेरुकियों में अन्तःकंकाल ही शरीर का मुख्य ढ़ाँचा बनाता है। यह मांसपेशियों (Muscles) से ढंका रहता है। संरचनात्मक दृष्टि से अन्तःकंकाल दो भागों से मिलकर बना होता है-
- अस्थि (Bone)
- उपास्थि (Cartilage)
1.अस्थि (Bone)
अस्थि एक ठोस, कठोर एवं मजबूत संयोजी ऊतक है जो तन्तुओं एवं मैट्रिक्स का बना होता है। इसके मैट्रिक्स में कैल्सियम और मैग्नीशियम के लवण पाये जाते हैं तथा इसमें अस्थि कोशिकाएँ एवं कोलेजन तंतु व्यवस्थित होते हैं।
कैल्सियम एवं मैग्नीशियम के लवणों की उपस्थिति के कारण ही अस्थियाँ कठोर होती हैं। प्रत्येक अस्थि के चारों ओर तंतुमय संयोजी ऊतक से निर्मित एक दोहरा आवरण पाया जाता है जिसे परिअस्थिक कहते हैं। इसी परिअस्थिक के द्वारा लिगामेण्ट्स टेन्ड्न्स तथा दूसरी मांसपेशियाँ जुड़ी होती हैं।
अस्थि मज्जा (Bone Marrow)
मोटी तथा लम्बी अस्थियों में एक खोखली गुहा पाई जाती है, जिसे मज्जा गुहा (marrow cavity) कहा जाता है। इसमें स्थित तरल पदार्थ अस्थि मज्जा कहलाता है। यह दो प्रकार की होती है।
- लाल अस्थि मज्जा – इसमें लाल रुधिर कणिकाओं (RBC) का निर्माण होता है। लाल अस्थि मज्जा केवल स्तनधारियों में पायी जाती है
- पीला अस्थि मज्जा – इसमें श्वेत रुधिर कणिकाओं (WBC)का निर्माण होता है।
अस्थि के प्रकार
विकास के आधार पर अस्थियाँ दो प्रकार की होती हैं।
(i) कलाजात अस्थि (Investing bone)
(ii) उपास्थिजात अस्थि (Cartilage bone)
कलाजात अस्थि (Investing bone)
यह अस्थि त्वचा के नीचे संयोजी ऊतक की झिल्लियों से निर्मित होती है। इसे मेम्ब्रेन अस्थि कहते हैं। खोपड़ी की सभी चपटी अस्थियाँ कलाजात अस्थियाँ होती हैं।
उपास्थिजात अस्थि (Cartilage bone)
यह अस्थियाँ सदैव भ्रूण की उपास्थि को नष्ट करके उन्हीं के स्थानों पर बनती हैं। इस कारण इन्हें रिप्लेसिंग बोन भी कहा जाता है। कशेरुक दण्ड तथा पैरों की अस्थियाँ उपास्थिजात अस्थियाँ होती हैं।
- उपास्थि (Cartilage)
उपास्थि का निर्माण ककाली संयोजी ऊतकों से होता है। यह भी एक प्रकार का संयोजी ऊतक होता है। यह अर्द्ध ठोस, पारदर्शक एवं लचीले ग्लाइकोप्रोटीन से बने मैट्रिक्स से निर्मित होता है। उपास्थि का मैट्रिक्स थोड़ा कड़ा होता है। इसके मैट्रिक्स के बीच में रिक्त स्थान में छोटी-छोटी थैलियाँ होती हैं जिसे लैकुनी कहते हैं।
लैकुनी में एक प्रकार का तरल पदार्थ भरा रहता है। लैकुनी में कुछ जीवित कोशिकाएँ भी पायी जाती हैं, जिसे कोण्ड्रियोसाइट कहते हैं। इसके मैट्रिक्स में इलास्टिन तन्तु एवं कोलेजन भी पाये जाते हैं। उपास्थि के चारों ओर एक प्रकार की झिल्ली पायी जाती है जिसे पेरीकोण्ड्रियम कहते हैं।
मानव कंकाल तंत्र की अस्थियाँ
मनुष्य के कंकाल में कुल 206 अस्थियाँ होती हैं। मनुष्य के कंकाल को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।
(i) अक्षीय कंकाल
(ii) उपांगीय कंकाल
- अक्षीय कंकाल (Axial skeleton)
शरीर का मुख्य अक्ष बनाने वाले कंकाल को अक्षीय कंकाल कहते हैं। इसमें खोपड़ी की हड्डी, मेरुदंड, पसलियां एवं उरोस्थि होते हैं।
अक्षीय कंकाल के दो प्रकार होते हैं।
(i) खोपड़ी (Skull)
(ii) कशेरुक दण्ड (Vertebral Column)
खोपड़ी
मनुष्य के सिर के अन्तः कंकाल के भाग को खोपड़ी कहते हैं इसमें 29 अस्थियाँ होती हैं इसमें से 8 अस्थियाँ संयुक्त रूप से मनुष्य के मस्तिष्क को सुरक्षित रखती हैं। इन अस्थियों से बनी रचना को कपाल कहते हैं।
कपालों की सभी अस्थियाँ सीवनों के द्वारा दृढ़तापूर्वक जुड़ी रहती हैं इनके अतिरिक्त 14 अस्थियाँ चेहरे को बनाती हैं 6 अस्थियाँ कान को हायड नामक एक और अस्थि खोपड़ी में होती हैं।